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डा. भीमराव अंबेडकर मीमांसा

*डा. भीमराव अंबेडकर मीमांसा* *पूर्वपक्षी उवाच:-* क्या बाबा साहेब ब्राह्मण के विरोधी थे? या ब्राह्मणवाद के ? या हिन्दु धर्म के ? *उत्तरपक्षी:-* बाबा साहेब न तो ब्राह्मण विरोधी थे।  न ही हिन्दू धर्म के। वो पास हिन्दू धर्म के पाखंड का विरोध करते थे। परन्तु आपने ऐसी शंका क्यों की ? *पूर्वपक्षी*:- आजकल तो सभी अंबेडकरवादी भाई हिन्दू धर्म का विरोध करते हैं। अतः केवल हिन्दुत्व का विरोध करना चाहिये? *उत्तरपक्षी*:- आजकल तो बहुत लोग हिन्दू व बौद्ध मांस भी खाते हैं तो क्या वह उनका धर्म हो जावेगा?  जो तुम तथाकथित हिन्दुत्व विरोध करके स्वयं को बाबा साहेब को अपना अनुयायी मानते हो तो यह तुम्हारी बड़ी भारी भूल है। क्योंकि विरोध तो गलत का ही हो सकता है।  और सत्य व न्याययुक्त बात का सदैव समर्थन होता है। *पूर्वपक्षी:-* तो क्या हिन्दू धर्म का विरोध नही करना चाहिये ? *उत्तरपक्षी:-*  मैं तुमसे पूछता हूँ कि क्या सही बात का भी विरोध करोगे?? क्या हिन्दु धर्म में जो सुबह उठने का और नित्य प्रति माता पिता की सेवा तर्पण करना आदि जो *पितृयज्ञ* का विधान है उसका भी विरोध करते हो? और जो मुस्लिम बकरीद पर पश
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शंकर

*आदि गुरु शंकराचार्य्य के जन्मवर्ष में मतभेद* सत्य असत्य का पाठक स्वयं निर्णय करें।  प्रचलित जन्म वर्ष = 788 ईस्वी।  मृत्यु = 820 ईस्वी।  . शारदामठ मे गुरुशिष्य परंपरा से प्राप्त श्लोक :- . *युधिष्ठिरे शके २६३१ (2631 युधिष्ठिर संवत)वैशाखशुक्लापञ्चम्यां श्री मच्छङ्करावतारः।....* *तदनु.... २६६३ कार्तिकशुक्लापूर्णिमायां.... श्री मच्छङ्करभगवत्पूज्यपादा... निजदेहेनैव....निजधामं प्राविशन्निति।* अर्थात् 2631 युधिष्ठिर संवत में आदि शंकराचार्य का जन्म हुआ व मृत्यु 2663 युधिष्ठिर संवत में हुई।  वर्तमान युधिष्ठिर संवत = 5157 यु. सं। अतः अब ये लेकर जन्म तक क् वर्ष = 5157-2631= 2526 वर्ष पूर्व या 2526-2018 = *508 ईसा पूर्व* अतः 508 ईसा पूर्व शंकराचार्य जी का जन्म हुआ था न कि 788 ईस्वी में।  अन्य प्रमाण:- *१.* जैन राजा सुधन्वा का उपलब्ध ताम्रपत्र :- *निखिलयोगिचक्रवर्ती श्रीमच्छङ्करभगवत्पादपद्मयोभ्रमरायमाण सुधन्वनो मम सोमवंशोचूडामणि'युधष्ठिर'पीरम्पर्यपरिप्राप्त भारतवर्षस्याञ्जलिबद्धपूर्विकेयं राजन्यस्य विज्ञप्ति.....युधिष्ठिर २६६३ आश्विन शुक्ल १५।* इय ताम्रपत्र में भी 2663 युध

कृष्ण

।।श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें।। मित्रों! आज भगवान कृष्ण का जन्मदिवस हम मना रहे हैं। आपके कृष्ण जी पर अनेक लेख,वीडियो,मैसेज आदि आ सकते हैं । जैसे कि- कृष्ण जी रासरचैया थे,माखनचोर थे, कुब्जा को उन्होंने पवित्र किया, राधा नामक स्त्री से उनके संबंध थे,आदि-आदि । ये सब मैसेज पोप पुराणों के आधार पर फैलाये जा रहे हैं। कृष्ण जी की १६१०८ पत्नियां बताते हैं। और जिस विष्णुपुराण में ये लिखा है, उसमें खुद आंकड़ा लेखक तय नहीं कर पा रहा। भागवत में तो कृष्ण से उनकी फूफेरी बहनों तक से शादी करवा दी। विष्णुपुराण ने तो आपसी संबंधों को छिछालेदर कर दिया। ब्रह्मवैवर्त ने तो कृष्ण को "प्लेबॉय" बनाकर रख दिया। गीताप्रेस आदि प्रकाशन आज भी भागवत में से वेदविरुद्ध, इतिहास विरुद्ध मूर्खतापूर्ण बातें छाप रहे हैं। हम ये नहीं कह रहे हैं कि पुराण पूरी तरह गलत है। इनमें भारी प्रक्षेप हुये हैं। विष्णुपुराण में २४००० की जगह ६००० ही श्लोक हैं। भागवत में १८००० होने थे, आज १४००० के लगभग रह गये। भविष्यपुराण कहता है कि पहले पुराण १२००० श्लोकों के थे, बाद में उनमें भारी परिवर्धन हो गया। आज ४ लाख श्लो

बौद्ध ग्रंथ लिंक

ऋषि दयानंद के सभी ग्रन्थ pdf में इस लिंक में उपलब्ध हैं अत्यधिक शेयर करें इस पोस्ट को http://www.vedicgranth.org/home/the-great-authors/maharshi सभी पुस्तकों की भाषा हिंदी है इसमें ऋषि के सारे वेद भाष्य , सत्यार्थ प्रकाश ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका संस्कारविधि आर्याभिविनय आर्योद्देश्य रत्नमाला समस्त शास्त्रार्थ --- काशी जबलपुर चांदपुर आदि अष्टाध्यायी भाष्य निघंटु आदि आज तक की सभी ऋषि दयानंद की पुस्तकें हैं *वेदार्थ कल्पद्रुम* *स्वामी करपात्री महाराज के वेदार्थ पारिजात को आर्य विद्वानोंद्वारा प्रत्युत्तर* https://drive.google.com/file/d/0B-96r6k2BtjkQXdmZlVkeWFxQ00/view?usp=docslist_api https://drive.google.com/file/d/0B-96r6k2BtjkVXFrSnNVT1ZRX28/view?usp=docslist_api https://drive.google.com/file/d/0B-96r6k2BtjkYUx3YVhaaTdscU94MElwWlFmakNxb0pXcWQw/view?usp=docslist_api https://drive.google.com/file/d/0B-96r6k2BtjkQ0tfZmVKb3RXbFk/view?usp=docslist_api https://drive.google.com/file/d/0B-96r6k2BtjkekNYQUV2cmp6dmJIZG5Ic2RMaXdHNkM2NzFZ/view?usp=docslist_api बौधसंग्रह व वैदिक *विनय पिटक

बंग्ला

प्रश्नवाचक सर्वनाम और भी हैं,फिलहाल दूसरे सर्वनाम (पुरुषवाचक सबन्धवाचक इत्यादि)देखते हैं मैं _आमि_ আমি हम _आम्रा_ আমরা हम दोनों- _अम्रा दुजौन_ আমরা দুজন वह _शे, ओ_ সে , ও वे(सम्माननीय) _तीनि, उनि_ তিনি , উনি यह सम्माननीय क्या है नीचे बता रहा हूँ। वे _तारा ताँरा ओरा_ তারা তাঁরা ওরা तुम _तुई_ তুই तुमलोग _तोरा_ তোরা आप _तुमि_ তুমি आप(सम्मानीय) _आप्नि_ আপনি मुझे _आमाए आमाके_ আমায় আমাকে मेरा _आमार_ আমার तुम्हें _तोके_ তোকে तुम लोगों को _तोदिके_ তোদিকে तुम्हारा _तोर्_ তোর तुम लोगों को _तोदेर_ তোদের आपको _तोमाके_ তোমাকে आपका _तोमार_ তোমার आपको (सम्मा०) _आप्नाके_ আপনাকে आपका (सम्मा०) _आपनार_ আপনার उसको _ताँके_ তাকে उसका _ताँर_ তাঁর उन लोगों को _तादिके_ তাদিকে उन लोगों का _तादेर्_ তাদের उनको(सम्मा०) _ओनाके_ ওনাকে उनका(सम्मा०) _ओनार्_ ওনার

मैक्समूलर

📙🔥 *मैक्समूलर द्वारा वेदभाष्य भ्रष्ट करने के प्रमाण* मैक्समूलर अपनी बहुअर्थी लेखनी को आड़ में आजीवन भारतवासियों को छलता रहा। आजकल वेदों पर आरोप कर स्वयं को आधुनिक बुद्धिजीवी सिद्ध करने का एक दौर चल पड़ा है। ऐसे में मुल्ले, ईसाई मिशनरियां, भीमटे, वामपंथी सभी एक स्वर से मैक्समूलर के द्वारा किये वेदभाष्य के भ्रष्ट अर्थों को दिखाकर वैदिक सभ्यता पर चौतरफा आक्रमण करने से नहीं थकते। यह पुस्तक उन सभी के गाल पर एक तमाचा है, जो मैक्समूलर के द्वारा किये भ्रष्ट अर्थों के द्वारा वैदिक सभ्यता पर वमन करते हैं और भारतीयों के मन मे वेदों के प्रति अश्रद्धा उत्पन्न कर उन्हें आपस मे ही आर्य-मूलनिवासी कहकर भिड़ाते हैं। उन मूर्खों को जानकर आश्चर्य होगा कि मैक्समूलर की मृत्यु के उपरांत उसकी पत्नी द्वारा उसके जीवन भर के पत्रों को संकलित करके प्रकाशित कराया, जिसमें मैक्समूलर ने स्वयं  बड़े ही स्पष्ट शब्दों में अपने करतूतों को स्वीकार किया है। उसका एक उदाहरण देखिए 👇👇 “I hope I shall finish that work, and I feel convinced, though I shall not live to see it, that this edition of mine and the translation of

सोम का यौगिक व योगरूढ़ अर्थ

*सोमः का अर्थ शराब नहीं*                         :- प्रथमेश आर्य्य। *अर्त्तिस्तुसुहुसृधृक्षिक्षुभायावापदियक्षिनीभ्यो मन्।* उणादिकोष १.१४०। 🔥 *सु + मन् = सोमः* *सवत्यैश्वर्यहेतुर्भवतीति सोमः कर्पूरश्चन्द्रमा वा* । अर्थात् :- सोम = जो ऐश्वर्य का हेतु (कारण) हो , कर्पूर ,चन्द्रमा।  अब देखिये यदि सोम का अर्थ शराब होता तो अवश्य ही मद्य लिखा होता जबकि ऐसा कुछ भी नहीं।  बल्कि ऐश्वर्य का कारण सोम बताया गया है।