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अष्टाध्यायी सूत्र प्रकार

🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः*
अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:-
संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति।
1. *संज्ञा सूत्र:-* सम्यग् जानीयुर्यया सा संज्ञा। 
उदाहरण: - वृद्धिरादैच् 1.1.1।
2. *परिभाषा सूत्रम्:-* परितः सर्वतो भाष्यन्ते नियमा याभिस्ताः परिभाषाः। 
उदाहरण: - इको गुणवृद्धिः। 
3. *विधिः सूत्र:-* यो विधीयते स विधिर्विधानं वा। 
उदाहरण: - सिचि वृद्धिः परस्मैपदेषु।
4. *निषेधं सूत्रम्:-* निषिध्यन्ते निवार्यन्ते कार्याणि यैस्ते निषेधाः।  उदाहरण: - न धातुलोपे आर्द्धधातुके। 
5. *नियमं सूत्रम्:-* नियम्यन्ते निश्चीयन्ते प्रयोगाः यैस्ते नियमाः।  उदाहरण: - अनुदात्तङित् आत्मनेपदम्।
6. *अतिदेशं सूत्रम्:-* अतिदिश्यन्ते तुल्यतया विधीयन्ते कार्याणि यैस्ते अतिदेशाः। 
उदाहरण: - आद्यन्तवदेकस्मिन्। 
7. *अधिकारं सूत्रम्:-* अधिक्रियन्ते पदार्था यैस्ते अधिकाराः।
उदाहरण: - कारके। 
🔥 *आर्यभाषायाम्*
जिससे अच्छेप्रकार जाना जाये वह *संज्ञा* कहाती है। जैसे *वृद्धिरादैच्* ।
जिनसे सब प्रकार नियमों की स्थिरता की जाये वे *परिभाषा* सूत्र कहाते हैं; जैसे इको गुणवृद्धी। 
जो विधान किया जाये अथवा जो विधान है वह *विधि* कहाता है। जैसे :- सिचि वृद्धिः परस्मैपदेषु। 
*निषेध* उनको कहते हैं जिनस कार्यों का निवारण किया जाये।जैसे :- न धातुलोपे आर्द्धधातुके। 
*नियम* उनको कहते हैं जिनसे प्रयोगों का निश्चय किया जाये।जैसे:- अनुदात्तङित् आत्मनेपदम्। 
जिससे किसी की तुल्यता को लेकर कार्य कहें वह *अतिदेश*
कहाता है। जैसे:- आद्यन्तवदेकस्मिन्।
जिनसे पदार्थों की विशेष अनुवृत्ति हो उनको *अधिकार* कहते हैं।जैसे:- कारके।

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