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अष्टाध्यायी 1.2.10

🔥 *हलन्ताच्च।1.2.10*
🔥 प वि:- हल् 1.1। हलन्तात् 5.1। च। 
🔥 अनुवृत्ति: - इको झल सन् कित्। 
🔥 अर्थ: - इकः समीपाद् यो हल् तस्माद् परोsपि झलादिः सन्-प्रत्यय कित्-वत् भवति।
🔥 आर्यभाषा:- इक् के समीपवर्ती हल से परे भी झलादि सन् प्रत्यय किद्वत् होता है।यहाँ अन्त शब्द समीपवाची है।
🔥 उदाहरण: - बिभित्सति। भिदिँर् +सन्। भिद्+सन्। भिद्+भिद्+स।
भि+भित्स +लट्। 
बिभित्स +शप्+तिप्।
बिभित्सति। 
यहाँ भिद् को *पुगन्तलघूपधस्य च* से गुण होता है परंतु *कित्* होने से निषेध हो जाता है। क्ङिति च से।

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