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अष्टाध्यायी 1.2.15

🔥 *यमो गन्धने।1.2.15*
🔥 अनुवृत्ति: - आत्मनेपदेषु सिच्।
🔥 अर्थ:  - गन्धनेsर्थे यमो धातोः आत्मनेपदेषु सिच् प्रत्यय कित्-वद् भवति।
🔥 आर्यभाषा: - गंधन-अर्थ में विद्यमान यम धातु से परे आत्मनेपद सिच् प्रत्यय किद्-वद् होता है।
🔥 उदाहरण :- यहाँ यम् के मकार का लोप होता है सिच् प्रत्यय के कित् होने से।

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