🔥 *विज इट्।1.2.2*
🔥 प पि:- विजः 5.1। इट् 1.1।
🔥 अर्थ: - विजो धातोः पर इडादिप्रत्ययो ङिद्-वद् भवति।
🔥 आर्यभाषा: - विज धातु से परे इडादि प्रत्यय ङिद्-वद् होते हैं।
🔥 उदाहरण: - विज् + तृच्। विज+इट् +तृ। यहाँ भी तृच के ङित होने से अंग के गुण होने का निषेध होता है। (पुगन्तलघूपधस्य च , से गुण प्राप्त था)
🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...
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