🔥 *उदुपधाद् भावादिकर्मणोरन्यतरस्याम्।1.2.21*
🔥 प वि:- उत्-उपधात् 5.1। भाव-आदिकर्मणो 6.2। अन्यतरस्याम्।
🔥 अनुवृत्ति: - सेट् निष्ठा कित् न।
🔥 अर्थ: - उकार उपधायां यस्य सः-उदुपधः। तस्माद् -उदुपधात्।
उदुपधात् धातोः परो भावे आदिकर्मणि च वर्तमानः सेट् निष्ठा प्रत्ययो विकल्पेन किद्वद् न भवति।
🔥 आर्यभाषा: - उकार जिसकी उपधा में है वह उदुपध कहलाता है। तो ऐसी उकार उपधा वाली धातु से इट् आगमवाला निष्ठा प्रत्यय विकल्प से किद्वत् नहीं होता।
🔥 उदाहरण: - द्युत+क्त= द्युत् +इट्+त= द्योतित +सु=द्योतितम्। या द्युतितम्।
यहाँ भी विकल्प से किद्वत् होने के विकल्प से गुण होता है।
🔥 एधँ वृद्धौ , भ्वादि गण, उदात्त, अनुदात्त(आत्मनेपदी) 1. *लट् लकार* एधते, एधेते , एधन्ते। एधसे, एधेथे , एधध्वे। एधे, एधावहे , एधामहे। 2. *लिट् लकार* एधाञ्चक्रे , एधाञ्चक्राते , एधाञ्चक...
Comments
Post a Comment