🔥 *अचश्च।1.2.28*
🔥 प वि:- अचः 6.1। च।
🔥 अनुवृत्ति: - अच् ह्रस्व-दीर्घ-प्लुतः।
🔥 अर्थ: - ह्रस्व, दीर्घ , प्लुत इति विधीयमानोsच् सो अच् स्थाने एव भवति।
🔥 आर्यभाषा: - ह्रस्व हो जाये, दीर्घ हो जाये या प्लुत हो जाये जब ऐसा कहा जाये तो वह अच् के स्थान में ही होता है। यह *परिभाषा सूत्र* है।
🔥 उदाहरण: - उप+सु +गो+सु। उपगो। उपगु। यहाँ *ह्रस्वो नपुंसके प्रातिपदिकस्य* से ओकार के स्थान में *एच् इग्घ्रस्वादेशे* से उकार होता है।
🔥 एधँ वृद्धौ , भ्वादि गण, उदात्त, अनुदात्त(आत्मनेपदी) 1. *लट् लकार* एधते, एधेते , एधन्ते। एधसे, एधेथे , एधध्वे। एधे, एधावहे , एधामहे। 2. *लिट् लकार* एधाञ्चक्रे , एधाञ्चक्राते , एधाञ्चक...
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