Skip to main content

अष्टाध्यायी 1.2.35

🔥 *उच्चैस्तरां वा वषट्कारः।1.2.35*
🔥 प वि:- उच्चैस्तराम् (अव्यय) । वा। वषट्कारः1.1।
🔥 अनुवृत्ति: - यज्ञकर्मणि , एकश्रुति। 
🔥 अर्थ: - यज्ञकर्मणि, वषट्कारः शब्दो विकल्पेन उदात्तरः भवति, पक्षे चैकश्रुतिस्वरो भवति। 
🔥 आर्यभाषा: -यज्ञकर्म में वषट्कार शब्द विकल्प से उदात्ततर होता है, पक्ष में एकश्रुतिस्वर होता है।

Comments

Popular posts from this blog

अष्टाध्यायी सूत्र प्रकार

🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...

तिङ् प्रत्यय

🔥  *तिङ् प्रत्ययाः*      *परस्मैपद:-*   1. तिप् ,   तस् ,   झि।    2. सिप् ,   थस् ,   थ।   3.  मिप् ,   वस् , मस्।         *आत्मनेपद:-* 1.   त ,      आताम् ,        झ।  2.   थास् ,   आथाम् ,    ध्वम्। 3.   इट् , ...

एध धातु आत्मनेपदी

🔥 एधँ वृद्धौ , भ्वादि गण, उदात्त, अनुदात्त(आत्मनेपदी) 1. *लट् लकार* एधते, एधेते , एधन्ते।  एधसे, एधेथे , एधध्वे। एधे, एधावहे , एधामहे। 2. *लिट् लकार* एधाञ्चक्रे , एधाञ्चक्राते , एधाञ्चक...