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अष्टाध्यायी 1.2.37

🔥 *न सुब्रह्मण्यायां स्वरितस्य तूदात्तः।1.2.37*
🔥प वि:- सुब्रह्मण्यायां 7.1। स्वरितस्य 6.1। तु। उदात्तः 1.1।
🔥 अनुवृत्ति: - एकश्रुति। 
🔥 अर्थ: - सुब्रह्मण्यायां उदात्तानुदात्तस्वरितानामेकश्रुति न भवति परंतु तत्र स्वरितस्य स्थाने उदात्तादेशो भवति।
🔥 आर्यभाषा: - सुब्रह्मण्या नामक निगद में उदात्त अनुदात्त व स्वरित की एकश्रुति नहीं होती परंतु वहाँ स्वरित को उदात्त आदेश होता है।

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