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अष्टाध्यायी 1.2.7

🔥 *मृडमृदगुधकुषक्लिशवदवसः क्त्वा।1.2.7*
🔥 अनुवृत्ति: - कित्। 
🔥 अर्थ: - मृड-मृद-गुध-कुष-क्लिश-वद-वसेभ्यो धातुभ्यो परो क्त्वा प्रत्यय कित्-वद् भवति। 
🔥 आर्यभाषा: - मृड आदि धातुओं से परे क्त्वा प्रत्यय किद्-वद् होता है। 
🔥 उदाहरण: - वद्+क्त्वा।  वद्+त्वा। वद्+इट्+त्वा।उ अ द् +इत्वा। उदित्वा।  यहाँ सेट् *(स+इट्)* क्त्वा प्रत्यय कित् होने से संप्रसारण होता है।

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