Skip to main content

अष्टाध्यायी 1.2.9

🔥 *इको झल्। 1.1.9*
🔥 प वि:- इकः 5.1। झल् 1.1।
🔥 अनुवृत्ति: - सन्, कित्। 
🔥 अर्थ: - इगन्ताद् धातो परो झलादि (अनिट् सन् ) प्रत्यय किद्-वद् भवति। 
🔥 आर्यभाषा: - इगन्त धातु से परे झलादि सन् प्रत्यय किद्-वद् भवति।
🔥 उदाहरण: - चिञ्+सन्। 
चि+स।चि+चि+स। चिची+स। चिचीष् +शप्+तिप्। चिचीषति। यहाँ कित होने से गुण का निषेध होता है।

Comments

Popular posts from this blog

एध धातु आत्मनेपदी

🔥 एधँ वृद्धौ , भ्वादि गण, उदात्त, अनुदात्त(आत्मनेपदी) 1. *लट् लकार* एधते, एधेते , एधन्ते।  एधसे, एधेथे , एधध्वे। एधे, एधावहे , एधामहे। 2. *लिट् लकार* एधाञ्चक्रे , एधाञ्चक्राते , एधाञ्चक...

तिङ् प्रत्यय

🔥  *तिङ् प्रत्ययाः*      *परस्मैपद:-*   1. तिप् ,   तस् ,   झि।    2. सिप् ,   थस् ,   थ।   3.  मिप् ,   वस् , मस्।         *आत्मनेपद:-* 1.   त ,      आताम् ,        झ।  2.   थास् ,   आथाम् ,    ध्वम्। 3.   इट् , ...

अष्टाध्यायी सूत्र प्रकार

🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...