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अष्टाध्यायी 1.3.14

🔥 *कर्तरि कर्मव्यतिहारे।1.3.14*
🔥 प वि:- कर्तरि 7.1। कर्म-व्यतिहारे 7.1। 
🔥 अर्थ: - कर्मणो व्यतिहार इति-कर्मव्यतिहार। तस्मिन्-कर्मव्यतिहारे।व्यतिहारः=विनिमय। कर्मव्यतिहारे =क्रियायाः विनिमये अर्थे कर्कृवाच्ये धातोः आत्मनेपदं भवति।  
🔥 आर्यभाषा: - क्रिया-विनिमय अर्थ में विद्यमान धातु से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है।  व्यतिहार का अर्थ विनिमय है। जहाँ अन्य सम्बन्धिनी क्रिया को कोई अन्य करता है और इतर संबंधी क्रिया को इतर करता है उसे कर्मव्यतिहार कहते हैं। 
🔥 उदाहरण: - व्यतिलुनते -परस्पर काटते हैं। व्यतिपुनते-परस्पर पवित्र करते हैं।

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