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अष्टाध्यायी 1.3.15

🔥 *न गतिहिंसार्थेभ्यः।1.3.15*
🔥 प वि:- न। गति-हिंसार्थेभ्यः 5.1।
🔥 अनुवृत्ति:- कर्तरि, कर्मव्यतिहारे।
🔥 अर्थ: - गतिश्च हिंसा च ते-गतिहिंसे, अर्थः च अर्थः च तौ- अर्थौ। गतिहिंसे अर्थौ येषां ते गतिहिंसार्थाः , तेभ्यः-गतिहिंसार्थेभ्यः।  क्रियाविनिमये अर्थे गत्यर्थेभ्यो हिंसार्थेभ्यश्च धातुभ्यः कर्तृवाच्ये आत्मनेपदं न भवति।
🔥 आर्यभाषा: - क्रिया-विनिमय अर्थ में विद्यमान धातुओं से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद नहीं होता है।
🔥 उदाहरण: - *(गत्यर्थक)* :- व्यतिगच्छन्ति। परस्पर जाते हैं। 
*(हिंसार्थक)*:- व्यतिहिंसन्ति।परस्पर हिंसा करते हैं।

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