🔥 *नेर्विशः।1.3.17*
🔥 प वि:- नेः 5.1। विशः 5.1।
🔥 अनु. :- *कर्तरि आत्मनेपम्ं*।
🔥 अर्थ: - नि-उपसर्गपूर्वाद् विशो धातोः कर्तरि आत्मनेपदं भवति।
🔥 आर्यभाषा: - नि-उपसर्ग से परे विश-धातु से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है।
🔥 उदाहरण: - *निविशते* ।
🔥 *कर्तरि आत्मनेपदम्* की *अनुवृत्ति* *शेषात् कर्तरि परस्मैपदम्* तक है। अतः प्रत्येक सूत्र में इसकी अनुवृत्ति नहीं दिखाई जायेगी।
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