🔥 *विपराभ्यां जेः।1.3.19*
🔥 प वि:- वि-पराभ्याम् 5.2। जेः 5.1।
🔥 अर्थ: - वि-परा-उपसर्गपूर्वाद् जि-धातोः कर्तरि आत्मनेपदं भवति।
🔥 आर्यभाषा: - वि- परा-उपसर्गपूर्वक जि-धातु से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है।
🔥 उदाहरण: *(वि)* :- विजयते। जीतता है। *(परा)* :- पराजयते। हारता है।
🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...
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