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अष्टाध्यायी 1.3.19

🔥 *विपराभ्यां जेः।1.3.19*
🔥 प वि:- वि-पराभ्याम् 5.2। जेः 5.1। 
🔥 अर्थ: - वि-परा-उपसर्गपूर्वाद् जि-धातोः कर्तरि आत्मनेपदं भवति।
🔥 आर्यभाषा: - वि- परा-उपसर्गपूर्वक जि-धातु से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है।
🔥 उदाहरण:  *(वि)* :- विजयते। जीतता है।  *(परा)* :- पराजयते। हारता है।

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