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अष्टाध्यायी 1.3.28

🔥 *आङो यमहनः।1.3.28*
🔥 प वि:- आङः 5.1। यमहनः 5.1। 
🔥 अनु. :- अकर्मकात्।
🔥 अर्थ: - यमः च हन् च तौ -यमहन्। ताभ्याम्-यमहनः। आङ-उपसर्गपूर्वाभ्याम् अकर्मकात् यमहन्भ्याम्  धातुभ्याम् कर्तरि आत्मनेपदं भवति। 
🔥 आर्यभाषा: - आङ-उपसर्गपूर्वक अकर्मक यम और हन धातुओं से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है।
🔥  उदाहरण: - *यम्*:- आयच्छते= हाथ पसारता है।  *हन्*:- आहते =ठोकता है।

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