🔥 *अधेः प्रसहने।1.3.33*
🔥 प वि:- अधेः 5.1। प्रसहने 7.1।
🔥 अनु.:- कृञः।
🔥 अर्थ: - अधि-उपसर्गपूर्वाद् प्रसहने अर्थे वर्तमानात् कृञो धातोः कर्तरि आत्ननेपदं भवति।
🔥 आर्यभाषा: - अधि-उपसर्गपूर्वक क्षमा अथवा अभिभव अर्थ में वर्तमान कृञ् धातु से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है।
🔥 उदाहरण: - शत्रुम् अधिकुरुते। शत्रु को क्षमा करता है या शत्रु को दबाता है।
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