🔥 *वेः पाद-विहरणे।1.3.41*
🔥 प वि:- वेः 5.1। पादविहरणे 7.1।
🔥 अनु.:- क्रमः।
🔥 अर्थ:- पादस्य विहरणमिति पाद विहरणम्। पाद-विहरणे अर्थे वर्तमानाद् वि-परस्मात्वधातोः कर्तरि आत्मनेपदं भवति।
🔥 आर्यभाषा: - पाँव से चलने अर्थ में वर्तमान वि-से परे क्रम धातु कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होती है।
🔥 उदाहरण:- सुष्ठु विक्रमते वाजी। घोड़ा अच्छे प्रकार से चलता है।
🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...
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