🔥 *सम्प्रतिभ्यामनाध्याने।1.3.45*
🔥 प वि:- सम्-प्रतिभ्याम् 5.2। अनाध्याने 7.1।
🔥 अनु.:- ज्ञः।
🔥 अर्थ: - उत्कण्ठापूर्वक स्मरणम् =आध्यानम्। न आध्यानम् इति अनाध्यानम्। अनाध्याने सम्प्रतिभ्याम् ज्ञः धाकोः कर्तरि आत्मनेपदं भवति।
🔥 आर्यभाषा: - उत्कण्ठापूर्वक स्मरण न करने अर्थ में वर्तमान सम्-प्रति- उपसर्ग से परे ज्ञा धातु से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है।
🔥 उदाहरण: - शतं संजानीते। सौ को ठीक जानता है।
शतं प्रतिजानीते।सौ प्रतिज्ञा करता है।
🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...
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