🔥 *समः प्रतिज्ञाने।1.3.52*
🔥 प वि: - समः 5.1। प्रतिज्ञाने 7.1।
🔥 अनु.: ग्रः।
🔥 अर्थ: - प्रतिज्ञाने अर्थे वर्तमानाद् ग्रः धातोः कर्तरि आत्मनेपदं भवति।
🔥 आर्यभाषा: - स्वीकार करने अर्थ में वर्तमान ग्रः धातु से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है।
🔥 उदाहरण: - शब्दं नित्यं *संगिरते* । शब्द नित्य है, ऐसी प्रतिज्ञा करता है।
🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...
Comments
Post a Comment