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अष्टाध्यायी 1.3.60

🔥 *म्रियतेर्लुङ्लिङोश्च।1.3.60*
🔥 प वि:- म्रियतेः 5.1। लुङ-लिङोः 6.2। च। 
🔥 अनु.:- शितः। 
🔥 अर्थ: - लुङ्-लिङ्-संबंधिनः शित्प्रत्ययसंबंधिनश्च मृ-धातोः कर्तरि आत्मनेपदं भवति। 
🔥 आर्यभाषा: - लुङ्-लिङ् -संबंधी , शित् प्रत्यय प्रत्ययसम्बन्धी मृ-धातु से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है। 
🔥 उदाहरण: - लुङ् :-अमृत।
*मृङ् प्राणत्यागे* तु. आ.
मृङ्+लुङ्।
अट् +मृ+च्लि +लुङ्।  *च्लि लुङि* 3.1.43
अ+मृ+सिच् +त। *च्लेः सिच्* 3.1.44
अ+मृ+स् +त।
अ+मृ+0+त। *ह्रस्वादङ्गात्* 8.2.27।
*अमृत। =मर गया।*

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