🔥 *आम्प्रत्ययवत् कृञोsनुप्रयोगस्य।1.3.62*
🔥 प वि:- आम्प्रत्ययवत्। कृञः 5.1। अनुप्रयोगस्य 6.1।
🔥 अर्थ: - आम्-प्रत्यय यस्मात् सः आम्प्रत्ययः। आम्प्रत्ययः इव आम्प्रत्ययवत्। अनुप्रयोगस्य कृञ् धातोः आम्प्रत्ययवत् कर्तरि आत्मनेपदं भवति।
🔥 आर्यभाषा: - अनुप्रयोग वाली कृञ् धातु से आम्प्रत्यय के समान कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है।
🔥 उदाहरण: - *एधाञ्चक्रे।* वह बढ़ा।
*इस सूत्र को पूरा समझने के लिये अष्टाध्यायी 3.1.36-40* सूत्रों को देखिये।
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