Skip to main content

अष्टाध्यायी 1.3.66

🔥  *भुजोsनवने।1.3.66*
🔥 प वि:- भुजः 5.1। अनवने 7.1। 
🔥 अर्थ: - अवनम् =रक्षणम्।  न अवनम् इति अनवनम्। तस्मिन्= अनवने। अनवने अर्थे वर्तमानाद् भुज् धातोः कर्तरि आत्मनेपदं भवति। 
🔥 आर्यभाषा: - खाने पीने अर्थ में वर्तमान भुज् धातु से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है। 
🔥 उदाहरण: - ओदनं *भुङ्क्ते।*
भुज् +लट्। 
भुज् +त।
भु श्नम् ज् + ते।
भु न् ज् +ते।
भु न् ग् + ते। *चो कुः*
भु न् क् + ते। *खरि च।8.4.*
भु ङ् क् ते।
भुङ्क्ते।

Comments

Popular posts from this blog

अष्टाध्यायी सूत्र प्रकार

🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...

तिङ् प्रत्यय

🔥  *तिङ् प्रत्ययाः*      *परस्मैपद:-*   1. तिप् ,   तस् ,   झि।    2. सिप् ,   थस् ,   थ।   3.  मिप् ,   वस् , मस्।         *आत्मनेपद:-* 1.   त ,      आताम् ,        झ।  2.   थास् ,   आथाम् ,    ध्वम्। 3.   इट् , ...

एध धातु आत्मनेपदी

🔥 एधँ वृद्धौ , भ्वादि गण, उदात्त, अनुदात्त(आत्मनेपदी) 1. *लट् लकार* एधते, एधेते , एधन्ते।  एधसे, एधेथे , एधध्वे। एधे, एधावहे , एधामहे। 2. *लिट् लकार* एधाञ्चक्रे , एधाञ्चक्राते , एधाञ्चक...