🔥 *गृधिवञ्च्योः प्रलम्भने।1.3.69*
🔥 प वि:- गृधि-वञ्च्योः 7.2। प्रलम्भने 7.1।
🔥 अनु.:- णेः।
🔥 अर्थ: - प्रलम्भने अर्थे वर्तमानाभ्यां णिजन्ताभ्यां गृधि-वञ्चिभ्यां धातुभ्यां कर्तरि आत्मनेपदं भवति।
🔥 आर्यभाषा: - ठगने अर्थ में वर्तमान गृधि-वञ्चि धातुओं से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है।
🔥 उदाहरण: - माणवकं *गर्धयते।* माणवकं *वञ्चयते।* बालक को ठगता है।
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