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अष्टाध्यायी 1.3.70

🔥 *लियः सम्माननशालिनीकरणयोश्च।1.3.70*
🔥 प वि:- लियः 5.1। सम्माननशालिनीकरणयोः 7.2। च।
🔥 अनु.:- णेः,प्रलम्भने।
🔥 अर्थ: - सम्मानने शालिनीकरणे प्रलम्भने चार्थे वर्तमानाद् णिजन्ताद् ली-धातोः कर्तरि आत्मनेपदं भवति। 
🔥 आर्यभाषा: - सम्मानन, शालिनीकरण व प्रलम्भन अर्थ में विद्यमान णिजन्त ली-धातु से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है। 
🔥 उदाहरण: - *उल्लापयते।* लीङ् + णिच्।
ला + इ।  *विभाषा लीयते* से आकारादेश।
ला+ पुक् +इ। *अर्ति...* 7.3.36 से पुक् आगम।
लापि + शप् + ते।
लापयते।
उत् लापयते।
*उल्लापयते।*

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