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अष्टाध्यायी 1.3.75

🔥 *समुदाङ्भ्यो यमोsग्रन्थे।1.3.75*
🔥 प वि:- सम्-उद्-आङ्भ्यः 5.3। यमः 5.1। अग्रन्थे 7.1।
🔥 अनु.:- कर्त्रभिप्राये क्रियाफले।
🔥 अर्थ: -  क्रियाफले कर्त्रभिप्राये सति सम्-उद्-आङ्- उपसर्गपूर्वाभ्यां यमः धातोः कर्तरि आत्मनेपदं भवति।यदि ग्रन्थविषयकः प्रयोगो न भवति।   
🔥 आर्यभाषा: - क्रिया का फल कर्ता को अभिप्रेत होने पर यम्-धातु से कर्तृवाच्य में आत्मनेपद होता है,  यदि वहाँ ग्रन्थ विषयक प्रयोग न हो।
🔥 उदाहरण: - *सम्*  व्रीहीन् *संयच्छते*। चावलों को इकट्ठा करते हैं।
*उद्* भारम् *उद्यच्छते।* भार को उठाता है।

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