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अष्टाध्यायी 1.3.77

🔥 *विभाषोपपदेन प्रतीयमाने।1.3.77*
🔥 प वि:- विभाषा 1.1। उपपदेन 3.1। प्रतीयमाने 7.1।
🔥 अनु.:- कर्त्रभिप्राये क्रियाफले। 
🔥 अर्थ: - क्रियाफले कर्त्रभिप्राये इति उपपदेन प्रतीयमाने सति पञ्चसूत्रोक्तेभ्यो धातुभ्यो कर्तरि आत्मनेपदं भवति।  यथा:-
*1.3.72*:- स्वं यज्ञं यजते।  स्वं यज्ञं यजति।
*1.3.76*:- स्वां गां *जानीते।* स्वां हां *जानाति।*
🔥 आर्यभाषा: - क्रिया का फल कर्ता को अभिप्रेत होना ऐसा उपपद से  प्रतीत होने पर पूर्वोक्त पाँचसूत्रों की धातुओं से कर्तृवाच्य में  विकल्प से आत्मनेपद होता है।

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