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अष्टाध्यायी 1.3.78

🔥 *शेषात् कर्तरि परस्मैपदम्।1.3.78*
🔥 प वि:- शेषात् 5.1। कर्तरि 7.1। परस्मैपदम् 1.1।
🔥 अर्थ: - शेषाद् धातोः कर्तरि परस्मैपदं भवति। 
🔥 आर्यभाषा: - पूर्वोक्त से शेष अन्य धातुओं से कर्तृवाच्य में परस्मैपद है। 
🔥 उदाहरण: - *याति* जाता है।  *प्रविशति* :- प्रवेश करता है।
🔥 विशेष:- 1. *अनुदात्तङित आत्मनेपदम्* 1.3.12 से जो आत्मनेपद का विधान किया गया है , भू या और वा धातु उदात्तेत् होने से उससे *शेष* है अतः इनसे पहस्मैपद होता है।
2. *नेर्विशः* 1.3.17 से नि उपसर्गपूर्वक विश् धातु से आत्मनेपद का विधान किया गया है। प्र उपसर्ग से परे विश् धातु अन्य(शेष) है। अतः उससे *परस्मैपद*होता है।

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