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अष्टाध्यायी 1.3.79

🔥 *अनुपराभ्यां कृञः।1.3.79*
🔥 प वि:- अनु-पराभ्याम् 5.2। कृञः 5.1।
🔥 अनु.:- कर्तरि,  परस्मैपदम्। 
🔥 अर्थ: - अनु-पराभ्यां परस्मात् कृञः धातोः कर्तरि परस्मैपदं भवति। 
🔥 आर्यभाषा: - अनु-पर -उपसर्गपूर्वक कृञ् धातु से कर्तृवाच्य में परस्मैपद होता है। 
🔥 उदाहरण: - *अनुकरोति* । *पराकरोति।*
अनु+कृ+लट्।
अनु+कर् +उ+तिप्।
अनु+कर् +ओ +ति।
अनुकरोति।

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