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अष्टाध्यायी 1.3.80

🔥 *अभिप्रत्यतिभ्यः क्षिपः।1.3.80*
🔥 प वि:- अभि-प्रति-अतिभ्सः 5.3। क्षिपः 5.1।
🔥 अर्थ: - अभि-प्रति-अति- परस्मात् क्षिपः धातोः परस्मैपदं भवति। 
🔥 आर्यभाषा: - अभि-प्रति-अति -उपसर्गपूर्वक क्षिप् धातु से कर्तृवाच्य में परस्मैपद होता है। 
🔥 उदाहरण: - *अभिक्षिपति।* सामने फेंकता है।
*प्रतिक्षिपति।* उल्टा फेंकता है।
*अतिक्षिपति।*

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