*प्राचीनाः भारतीयाः वैयाकरणाः*
मूलनिवासी नामक गप्पी जमात कहती है कि भारत में आर्यों ने लूट घसोट की। *परन्तु देखिये भारत में कितने महान वैयाकरण हुये हैं!* *जिन्होंने व्याकरण के क्षेत्र में ही बहुत कार्य किया।* व्याकरणशास्त्र के इतिहास के अनुसार अष्टाध्यायी के प्रवक्ता *पाणिनी मुनि से पूर्ववर्ती निम्नलिखित व्याकरणशास्त्र* के 25 प्रमुख आचार्य माने गये हैं।
1. महेश्वर (शिव )
2. इन्द्र।
3. वायु।
4. भारद्वाज।
5. भागुरि।
6. पौष्करसादि।
7. चारायण।
8. काशकृत्स्न।
9. शन्तनु।
10. वैयाघ्रपद्य।
11. माध्यन्दिनि।
12. रौढ़ि।
13. शौनकि।
14. गौतम।
15. व्याडि।
16. आपिशालि। *(3000 विक्रम सं. पूर्व)*
17. काश्यप।
18. गार्ग्य।
19. गालव।
20. चाक्रवर्मण। *(3000 वि. पूर्व)*
21. भरद्वाज।
22. शाकटायन। *(3100 वि. पूर्व)
23. शाकल्य।
24. सेनक।
25. स्फोटायन। *(2950 वि. पूर्व)*
पाणिनी मुनि ने अपनी अष्टाध्यायी नामक कृति में 10 वैयाकरणो का उल्लेख किया है व उनके व्याकरण-मत का भी वर्णन किया है। *अब मूलनिवासियों का बताना चाहिये कि ये आर्य थे या अनार्य ?*
🔥 एधँ वृद्धौ , भ्वादि गण, उदात्त, अनुदात्त(आत्मनेपदी) 1. *लट् लकार* एधते, एधेते , एधन्ते। एधसे, एधेथे , एधध्वे। एधे, एधावहे , एधामहे। 2. *लिट् लकार* एधाञ्चक्रे , एधाञ्चक्राते , एधाञ्चक...
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