मा॒ता रु॒द्राणां॑ दुहि॒ता वसू॑नां॒ स्वसा॑दि॒त्याना॑म॒मृत॑स्य॒ नाभि॑: । प्र नु वो॑चं चिकि॒तुषे॒ जना॑य॒ मा गामना॑गा॒मदि॑तिं वधिष्ट ॥ ऋग्वेद ८.१०१.१५ ॥ ये एक मन्त्र ही बता देता है - गौ को माता उपमार्थ कहा गया है | गौ को माता को कहने का कारण - अमृत का उसकी नाभि में पाया जाना है | साथ में गौ रक्षा और उसकी कभी हत्या नही करनी चाहिए यह बात इस एक मन्त्र से स्पष्ट है |
🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...
Comments
Post a Comment