Skip to main content

अष्टाध्यायी और इतिहास

*अष्टाध्यायी*
एक ऐतिहासिक ग्रन्थ :-
पाणिनीमुनिकृत अष्टाध्यायी एक व्याकरणग्रन्थ है। इसमें सम्पूर्ण वैदिक व लौकिक व्याकरण *सूत्ररूप* में समाहित है। तथा इसको पढ़कर व्यक्ति अत्यल्प काल में ही एक उत्तमकोटि का संस्कृतभाषाविद् व अन्यभाषाओं की सूक्ष्मता को समझ सकता है।  इसमें *गौणरूप से इतिहास* भी समाया हुआ है।जिसकी सहायता से स्वर्णिम भारतीय इतिहास को लिखने में सहायता मिल सकती है।  
*विशेषकर नवबौद्घों के दर्पभञ्जन में ,जो आर्य-अनार्य नामक कल्पना पर विश्वास करते हैं और समाज में फूट डाल रहे हैं।*

Comments

Popular posts from this blog

एध धातु आत्मनेपदी

🔥 एधँ वृद्धौ , भ्वादि गण, उदात्त, अनुदात्त(आत्मनेपदी) 1. *लट् लकार* एधते, एधेते , एधन्ते।  एधसे, एधेथे , एधध्वे। एधे, एधावहे , एधामहे। 2. *लिट् लकार* एधाञ्चक्रे , एधाञ्चक्राते , एधाञ्चक...

तिङ् प्रत्यय

🔥  *तिङ् प्रत्ययाः*      *परस्मैपद:-*   1. तिप् ,   तस् ,   झि।    2. सिप् ,   थस् ,   थ।   3.  मिप् ,   वस् , मस्।         *आत्मनेपद:-* 1.   त ,      आताम् ,        झ।  2.   थास् ,   आथाम् ,    ध्वम्। 3.   इट् , ...

अष्टाध्यायी सूत्र प्रकार

🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...