*अष्टाध्यायी*
एक ऐतिहासिक ग्रन्थ :-
पाणिनीमुनिकृत अष्टाध्यायी एक व्याकरणग्रन्थ है। इसमें सम्पूर्ण वैदिक व लौकिक व्याकरण *सूत्ररूप* में समाहित है। तथा इसको पढ़कर व्यक्ति अत्यल्प काल में ही एक उत्तमकोटि का संस्कृतभाषाविद् व अन्यभाषाओं की सूक्ष्मता को समझ सकता है। इसमें *गौणरूप से इतिहास* भी समाया हुआ है।जिसकी सहायता से स्वर्णिम भारतीय इतिहास को लिखने में सहायता मिल सकती है।
*विशेषकर नवबौद्घों के दर्पभञ्जन में ,जो आर्य-अनार्य नामक कल्पना पर विश्वास करते हैं और समाज में फूट डाल रहे हैं।*
🔥 एधँ वृद्धौ , भ्वादि गण, उदात्त, अनुदात्त(आत्मनेपदी) 1. *लट् लकार* एधते, एधेते , एधन्ते। एधसे, एधेथे , एधध्वे। एधे, एधावहे , एधामहे। 2. *लिट् लकार* एधाञ्चक्रे , एधाञ्चक्राते , एधाञ्चक...
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