🔥ग्क्ङिति च। 1.1.5
🔥गश्च कश्च ङश्च ते क्क्ङः। क इत् _(इत् संज्ञा)यस्य स कित।
🔥अर्थ: -गिति किति ङिति च प्रत्यये परतः इकः स्थाने गुणवृद्धी न भवतः।
🔥 आर्यभाषा:- गित् कित् और ङित् प्रत्यय प्रत्यय परे होने पर भी इक के स्थान में गुण और वृद्धि नहीं होती।
🔥उदाहरण :- मृष्टः। मृज् +क्त। यहाँ मृजुँष् शुद्धौ धातु से क्त प्रत्यय परे होने पर मृजेर्वृद्धिः से मृज् धातु के इक को वृद्धि प्राप्त होती है। किंतु क्त प्रत्यय के कित होने से वृद्धि का निषेध हो जाता है।
🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...
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