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अष्टाध्यायी 3.1.3

🔥 *आद्युदात्तश्च।3.1.3*
  प वि:- आद्युदात्तः 1.1। च।
अनुवृत्ति: - प्रत्ययः।
अर्थ: -  यः च प्रत्ययः संज्ञकः स आद्युदात्तः भवति , इत्यधिकारो अयम् आ पञ्चमाध्यायपरिसमाप्ते।यस्य प्रत्ययस्य अन्यस्वरो न विहितः सः आद्युदात्तः वेदितव्यः।
आर्यभाषाया:- और जिसकी प्रत्यय संज्ञा है वह आदि-उदात्त होता है। इसका पञ्चम अध्यायलकी समाप्ति पर्यन्त अधिकार है।जिस प्रत्यय का कोई अन्यस्वर विधान नहीं किया गया है उसका आद्युदात्त स्वर होता है।
उदाहरण: - *क॒र्तव्य॑म्।* यहाँ तव्य प्रत्यय को आद्युदात्त स्वर होता है इसी सूत्र से। 
अनुदात्त:- *क॒*।
स्वरित:- *क॑*।

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