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अष्टाध्यायी 3.1.5

*सन् प्रत्ययः*
🔥 *गुप्तिज्किद्भ्यः सन्।3.1.5*
प वि:- गुप्-तिज्-किद्भ्यः 5.3। सन् 1.1।
अर्थ: - गुप्-तिज्-किद्भ्यः धातुभ्यः परो सन् प्रत्ययः भवति।
आर्यभाषाया:- गुप्-तिज्-किद् धातुओं के सन् प्रत्यय होता है।
उदाहरण: - *जुगुप्सते* निन्दा करता है।
गुप् + सन्।
गुप्-गुप् +सन्।
गु -गुप् +स। *सन्यङोः* 6.1.9
जु -गुप्स। *कुहोश्चुः* 7.4.62
जुगुप्स + लट्। *वर्तमाने लट्* 3.1.32
जुगुप्स + शप् + त। *कर्तरि शप्*
जुगुप्स +अ+ ते। *टित् आत्मनेपदानां टेरे* 3.4. ...  ।
जुगुप्सते। *अतो गुणे* ये पररूर अकार।
*इन धातुओं से सन् प्रत्ययः अर्थविशेष में ही होता है।

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