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स्वरित का लक्षण

*स्वरित का लक्षण*
पाणिनी मुनि ने स्वरित का यह लक्षण किया है कि *समाहारः स्वरितः* 1.2.31 अर्थात् उक्त उदात्त और अनुदात्त का दो समाहार = सम्मिश्रण है , वह स्वरित कहलाता है।स्वरित की रचना में कितनी मात्रा उदात्त में और कितनी मात्रा में अनुदात्त है, इस तथ्य को समझाने के लिये पाणिनी मुनि लिखते हैं।- *तस्यादित उदात्तमर्धह्रस्वम्* (1.2.32) स्वरित के प्रारम्भ में आधी मात्रा भाग उदात्त और अन्त में शेष मात्रा भाग अनुदात्त होता है।जैसे कि *कन्या॑* शब्द में *आ* स्वरित है।इसके आदि में 1/2 आधी मात्रा उदात्त है और शेष 3/2 मात्रा अनुदात्त है।ऐसा ही सर्वत्र समझें।पाणिनी मुनि के स्वरविषयक इस सूक्ष्म लेख की स्तुति नें महर्षि पतञ्जलि लिखते हैं-  *तद्यथा क्षारोदके सम्पृक्ते आमिश्रीभूतत्वान्न ज्ञायते-कियत् क्षीरम् , कियदुदकम् कस्मिन्नवकाशे क्षीरम्, कस्मिन् वोदकमिति ? एवमिहाप्यामिश्रीभूतत्वान्न ज्ञायते - कियदुदात्तम् , कियदनुदात्तम्, कस्मिन्नवकाशे उदात्तम्, कस्निन्नवकाशे अनुदात्तम्? तदाचार्य सुह्रद् भूत्वाsन्वाचष्टे- इयदुदात्तमियदनुदात्मस्मिन्नवकाशे उदात्तम् अस्मिन्नवकाशे अनुदात्तम्।* (महाभाष्यम् 1.2.33)
अर्थ: - जैसे दूध और पानी के मिल जाने पर यह विदित नहीं होता कि इस मिश्रण में कितना दूध और कितना पानी है तथा किस ओर दूध है किस ओर पानी। वैसे ही यहाँ स्वरित में भी उदात्त और अनुदात्त के मिश्रित हो जाने से यह ज्ञात नहीं होता कि इसमें कितना उदात्त और कितना अनुदात्त है।इस सूक्ष्म तथ्य को पाणिनी मुनि ने हमारा मित्र बनकर हमें उपदेश किया है कि ' स्वरित' में इतनी मात्रा-भाग उदात्त व इतनी मात्रा-भाग अनुदात्त है व इसके पूर्व में आधी मात्रा-भाग उदात्त व शेष-मात्रा-भाग अनुदात्त है।

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एध धातु आत्मनेपदी

🔥 एधँ वृद्धौ , भ्वादि गण, उदात्त, अनुदात्त(आत्मनेपदी) 1. *लट् लकार* एधते, एधेते , एधन्ते।  एधसे, एधेथे , एधध्वे। एधे, एधावहे , एधामहे। 2. *लिट् लकार* एधाञ्चक्रे , एधाञ्चक्राते , एधाञ्चक्रिरे। एधाञ्चकृषे , एधाञ्चक्राथे , एधाञ्चकृढ्वे। एधाञ्चक्रे , एधाञ्चक्रवहे , एधाञ्चक्रमहे।  3. *लुट् लकार* एधिता , एधितारौ , एधितारः।  एधितासे , एधिताथे , एधिताध्वे।  एधिताहे , एधितास्वहे , एधितास्महे।  4. *लृट् लकार* एधिष्यते , एधिष्येते , एधिष्यन्ते। एधिष्यसे , एधिष्येथे , एधिष्यध्वे। एधिष्ये , एधिष्यवहे , एधिष्यमहे। 5. *लेट् लकार* एधिषातै , एधिषैते , एधिषैन्ते। एधिषासै ,  एधिषैथे , एधिषाध्वै।  एधिषै , एधिषावहै , एधिषामहै।  6. *लोट् लकार* एधताम्  ,एधेताम् , एधन्ताम्।  एधस्व , एधेथाम् , एधध्वम्। एधै , एधावहै , एधामहै। 7. *लङ् लकार* ऐधित , ऐधेताम् , ऐधन्त। ऐधथाः , ऐधेथाम् , ऐधध्वम्। ऐधे , ऐधावहि , ऐधामहि। 8. *लिङ् लकार*        *क. विधिलिङ् :-* एधेत , एधेताम् , एधेरन्। एधेथाः , एधेयाथाम् , एधेध्वम्। एधेय , एधेवहि , एधेमहि।           *ख. आशीष् :-* एधिषीष्ट , एधिषीयास्ताम

तिङ् प्रत्यय

🔥  *तिङ् प्रत्ययाः*      *परस्मैपद:-*   1. तिप् ,   तस् ,   झि।    2. सिप् ,   थस् ,   थ।   3.  मिप् ,   वस् , मस्।         *आत्मनेपद:-* 1.   त ,      आताम् ,        झ।  2.   थास् ,   आथाम् ,    ध्वम्। 3.   इट् ,       वहि ,      महिङ्। सूत्र:- *तिप्तस्झिसिप्थस्थमिब्वस्मस्ताताम्झथासाथाम्ध्वमिडवहिमहिङ्।* अष्टाध्यायी 3.4.78

अष्टाध्यायी सूत्र प्रकार

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