*फलित ज्योतिष पाखंड :-* *(भाग-1)*
*ज्योतिर्विद्या द्विविधा भवति*
-प्रथमेश आर्य।
नमस्ते मित्रों !
ज्योतिष् दो प्रकार का होता है।
1. वैदिक ज्योतिष् (ग्रहनक्षत्रों की दशा की गणना व कालगणना )
2. भविष्यकाल बताने वाला फलित ज्योतिष्।
आजकल के फलित ज्योतिषी अपने आपको किसी देवता , या देवी माता या किसी पीर फकीर का भक्त घोषित करते हैं, और उनके चित्र छापकर , शिव स्तोत्र , हनुमान चालीसा , दुर्गा सप्तशती , आरतियों की पुस्तकें बाँटकर उनकी पूजा आदि का ढोंग करते हैं।यह देवी देवता पीर फकीर इस युग में आजतक किसी की मदद को आये हैं क्या? जो अब आकर के ज्योतिषी जी के ग्राहक का काम बनवा देंगे? मनगढ़ंत कथा कहानियाों के वाचन से कार्य सिद्धि नहीं हुआ करते।
जिसने जैसे कर्म किया है उसको भोगना ही होगा। कोई ज्योतिषी, तांत्रिक पुजारी , पादरी बचा नहीं सकता है।
ग्रह उपग्रह सब जड़ हैं। इनको गति ईश्वर ने प्रदान की है। "योsन्तरिक्षे रजसो विमानः" (यजुर्वेद 32.6) *समस्त ग्रह अपने अपने अक्ष पर अपनी अपनी कक्षा में घूमते हैं।*वे किसी के ऊपर नहीं चढ़ते।
शनिग्रह ने आजतक किसी का भी बुरा नहीं किया है। ज्योतिषियों ने लोगों में भय पैदा करने के लिये इसको मोहरा बना रखा है।
यदि मुहुर्त देखना कोई लाभदायक बात है तो जिन लोगों में मुहुर्त नहीं देखा जाता , उन्हे हानि होनी चाहिये, परंतु यहाँ तो हिसाब उल्टा है। हिंदुओं में जहाँ लग्न व मुहुर्त देखकर विवाह किये जाते हैं। वहाँ विधवाओं की संख्या अन्य देशों की अपेक्षा अधिक है।
*अन्धन्तमः प्र विशन्ति येsविद्यामुपासते। - यजुर्वेद 40.12*
*जो लोग अविद्या में ही रत रहते हैं , वे गहन अन्धकार में जाते हैं।* यह वेद का वचन है।
ओ3म्।
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