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*वेद में मोहम्मद का चिह्न तक नहीं।*
- प्रथमेश आर्य। 
साथियों इस वेदमन्त्र का अर्थ बिल्कुल भी मोहम्मद से संबंधित नहीं।
*अहमिद्धि पितुष्परि मेधामृतस्य जग्रह।अहं सूर्य्य इवाजनि।* सामवेद 152वाँ मन्त्र व ऋग्वेद 8.6.10।
*पदच्छेद:-* अहम् इत् हि पितुः परि मेधाम् ऋतस्य परिजग्रह।  अहम् सूर्यः इव अजनि। 
*पदार्थ:-* *अहम् =मैं,* *इत् हि= ही निश्चय से* पितुः= अपने पालक पिता परमेश्वर के , ऋतस्य= सत्य, ज्ञान, वेद और शक्तिसामर्थ्य के लिये , मेधाम्= धारणावती बुद्धि को , परि- जग्रह= सब ओर के ग्रहण करूँ। अहं = मैं , सूर्य इव= सूर्य्य के समान , अजनि= हो जाऊँ।

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