🔥 असुर कौन?
- प्रथमेश आर्य।
नमस्ते मित्रों!
🔥 न सुराः -इति असुराः। अर्थात् जो देवताओं के समान नहीं हैं। जो देवताओं के समान निःस्वार्थ , निर्वैर , पररहित , परोपकार, त्याग, तप, सहिष्णुता आदि भावनाओं वाले नही हैं। जो अपने देह और प्राणों के पोषण में ही अपने ही स्वार्थ सुख सुविधा धन और हितसाधनों में तत्पर रहके हैं। उसकी पूर्ति के लिसे तरह तरह के छल-प्रपंच व माया जाल आदि रचते हैं, ऐसे व्यक्ति असुर कहलाते हैं।
इनमें 🔥निरुक्त और ब्राह्मण ग्रंथों के प्रमाण उल्लेखनीय हैं। - "असुरता:- स्थानेष्वस्ता , स्थानेभ्य इति वा , असुरिति प्राणानामास्त : शरीरे भवति, तेन तद्वन्त : " (निरुक्त 3.7) "(असुरा:) स्वेष्वेवास्येषु जुह्वतश्चेरु"( शतपथ 11.1.8.1) मायात्येसुरा: (उपासते ) शतपथ 10.5.2.10। असु क्षेपणे (अदादि) धातु से असेरुरन् (उणादि 1.42) से उरन् प्रत्यय से असुर शब्द सिद्ध होता है। असुर से 'संबंध रखने वाला ' अण् प्रत्यय लगकर आसुर बनता है।
🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...
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