*अवतारवाद अर्थात् नपुंसकवाद*
-प्रथमेश आर्य।
जब अधर्म की वृद्धि हो जाती है और धर्म का ह्रास होता है, तब ईश्वर अवतार धारण करता है, ईश्वर इस धराधाम पर अवतार लेता है। इसकी पुष्टि में लोग गीता के निम्न श्लोकों को प्रस्तुत करते हैं -
यदा यदा हि धर्मस्य ......
...............सम्भवामि युगे युगे। -गीता 4।7-8
श्रीकृष्ण जी कहते हैं कि मैं युग युग में अवतार लेता हूँ और सत्पुरुषों की रक्षा करता हूँ।
यह विचारधारा वेद के प्रतिकूल तो है ही। कृष्ण की विचारधारा के विरुद्ध भी है।
*चारों वेदों में एक भी ऐसा मंत्र नहीं जहाँ ईश्वर को शरीरधारी कहा गया हो।*
वेद में तो ईश्वर को *अकायमस्नाविरम्*(यजु. 40.8) शरीर और नस नाड़ी के बंधन से रहित कहा गया है। वअन्यत्र उसे *अजः* (ऋग्वेद 7.35.13) *कभी जन्म न लेने वाला कहा गया है।* उपनिषदों में भी ईश्वर का ऐसा ही स्वरूप वर्णित किया गया है।
साथ ही श्रीकृष्ण वेद-वेदांगो के ज्ञाता थे। वो ऐसी वेदविरुद्ध बात नहीं कर सकते थे।
*अवतारवादियों से प्रश्न*
*1.*ऊपर गीताश्लोक में अवतार के तीन कारण बताये गये हैं।- क) साधुओं की रक्षा। ख) दुष्टो को दण्ड। ग) धर्म की स्थापना। यदि इन तीन बिन्दुओं पर विचार किया जाये तो प्रतीत होगा कि जितने भी अवतार हुये उनमें से एक ने भी इन कार्यों को पूरा नहीं किया।
*2.* विष्णु के जितने भी अवतार हुये वे सभी *छली और कपटी* थे।ऐसा प्रतीत होता है कि उनका जन्म छल और कपट के लिये ही हुआ था।
*3.* मोहिनी अवतार ने कौन से काधुओं की रक्षा की थी?
*4.* वामन भी विष्णु के अवतार माने जाते हैं उन्होने *बलि के साथ छल* करने के अतिरिक्त कौन सा उत्तम कर्म किया?
*5.* परशुराम भी सनातनियों के अवतार हैं। परशुराम ने इक्कीस बार क्षत्रियों का संहार किया। क्या अवतार इसीलिये होता है? और महात्मा बुद्ध तो ईश्वर को ही नहीं मानते थे तो वो किस प्रकार अवतार गये?
*6.* एक और विडम्बना देखिये सतयुग में चार अवतार हुये, त्रेता में तीन , द्वापर में दो और *कलियुग में अभी तक एक भी अवतार नहीं हुआ है।* पौराणिकों के अनुसार कलियुग सबसे बुरा है अतः कलियुग में सबसे अधिक अवतार होने चाहिये।और सतयुग में तो धर्म ही धर्म था अधर्म का लेश भी नहीं था उस समय एक भी अवतार नहीं होना चाहिये था।
*7.* आज पूरे विश्व में भुखमरी भ्रष्टाचार व मानव देह व्यापार चरम पर है। आतंक चरम पर है। और आज एक भी अवतार नहीं? सतयुग में तो जब कोई अधर्म नहीं था तो अवतारो की लाइन लगी थी।
अतः *अवतारवाद केवल झूठ, धोखा और पाखंड है। अवतार से रक्षा की आशा करना दुराशामात्र है।*
साभार - भारत की अवनति के सात कारण।
ओ3म्।
🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...
Comments
Post a Comment