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*कुरान का महा-पाखंड*(पहाड़ से कुरान उतरी तो पहाड़ फट गया और डर गया)  :- प्रथमेश आर्य।
लौ अन्जलना हाजल्कुरअाना अला जबलिल्लराएताहु खाशे अम्मुतसद्दे अम्मिन खश्यतिल्लाहा।
          :- कुरअान पारा 28 रुकू 6 ( हशर )
अर्थ: - *यदि हम इस कुरान को किसी पहाड़ पर उतारते, तो तू देखता कि पहाड़ खुदा के भय से दब जाता और फट जाता।*
         इब्ने कसीर पा. 28 पृष्ठ 36।
आजकल मुसलमान लोग पहाड़ो पर भी रहते हैं। वह कुरान भी पढ़ते हैं। आज तक पहाड़ क्या कोई पत्थर भी म फटा ? क्या पहाड़ अरबी में लिखा कुरान समझता और भय खाकर फट जाता ? यह सृष्टि नियम विरुद्ध मूर्खों को बहकाने की बाते हैं। 
ओ3म् शम्।

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