🔥 *छन्दानां संक्षिप्तः परिचयः*
- *प्रथमेश आर्य्य*
वैदिक छन्द में केवल स्वरों का महत्त्व है।और उनमें व्यञ्जन की गणना नहीं होती।
वैसे तो छन्द बहुत प्रकार के हैं। परन्तु कुछ मुख्य निम्न हैं।
१. *गायत्री छन्द* :- २४ मात्रायें।
२. *उष्णिक् छन्द*:- २४+४= २८ मात्रायें।
३. *अनुष्टुप् छन्द*:- २८+४= ३२ मात्रायें (स्वर )
४. *बृहती छन्द*:- ३२+४= ३६ मात्रायें।
५. *पङ्क्ति छन्द*:- ३६+४= ४० मात्रायें।
६. *त्रिष्टुप् छन्द*:- ४०+४= ४४ मात्रायें।
७. *जगती छन्द*:- ४४+४ = ४८ मात्रायें।
उदाहरण:-
*गायत्री छन्द :-* ऋग्वेद १.१.१
अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजं होतारं रत्नधातमम्।= *२४ स्वर( = मात्रायें)*
*त्रिष्टुप् छन्द*:- ऋग्वेद ६.१७.१।
*जगती छन्द* :- ऋग्वेद ५.११.१।
Comments
Post a Comment