🔥 *बाबा साहेब की सप्तम प्रतिज्ञा की समालोचना*
*ओ३म्*
:- प्रथमेश आर्य्य
*सप्तम प्रतिज्ञा:-* मैं बुद्ध के सिद्धान्तों और उपदेशों का उल्लङ्घन करने वाले तरीकों के कार्य्य नहीं करूंगा।
*समालोचना:-* वाह जी वाह ! क्या प्रतिज्ञा करी है। क्या बुद्ध के सब सिद्धान्त अच्छे हैं ? क्या महात्मा बुद्ध सर्वज्ञ थे ? आपने उन पर इतना अन्धविश्वास क्यों किया ? ये तो आप ही जानें। पर बौद्ध ग्रंथो में बहुत ज्यादा ही गप्पे हैं जिसको शायद आप भी न मानते थे। परन्तु आप की प्रतिज्ञा तो सत्य को स्वीकारने की होनी चाहिये थी। पर दुर्भाग्य आप पक्षपात करने लगे वो भी कुछ पंडो की अज्ञानता के कारण। क्या आपको स्वयं वेदों का ज्ञान न था? आपके अनुयायी तो आपको वेदों और संस्कृत का भी महाज्ञाता बताते हैं पर बेचारों से प्रमाण मांग दो तो हमको ब्राह्मणवादी घोषित कर देते हैं।
क्या आप बिना प्रमाण के कोई बात मानते थे ? यदि नहीं तो हम क्यों माने ? आपने तो संस्कृत भी नहीं सीखी। टूटी फूटी तो सबको आती है।
अस्तु।
आपकी जो बुद्ध के सिद्धान्त व उपदेश को मानने संबन्धि-प्रतिज्ञा है वो भी एक पर्याप्त सीमा वेदानुकूल है परन्तु वह कुरान व बाईबल के सर्वथा विरुद्ध है।
और आपकी प्रतिज्ञा का दूसरा मन्तव्य है :-
*हम आपके परमभक्त मुस्लिम व ईसाई आज से ही इस्लाम व ईसाईयत त्यागते हैं और बाबा बुद्ध के जो जो वेदानुकूल वचन व उपदेश हैं उनका पालन करने का संकल्प लेते हैं।*
*ओ३म्*
*वेदों की ओर लौटो*
*ओ३म् भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्*
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