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बाबा साहेब की एकादश, द्वादश प्रतिज्ञाओं की समालोचना

*बाबा साहेब की एकादश व द्वादश प्रतिज्ञा की समालोचना*
ओ३म्
१२ अप्रैल २०१८।
:-  प्रथमेश आर्य्य।
*एकादश प्रतिज्ञा:-* मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करूंगा।
*द्वादश प्रतिज्ञा:-* मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित पारमितों को पालन करूंगा। 
*समालोचना:-* क्या आप बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग का इसलिये पालन करेंगे कि वो बुद्ध ने कहा ? या वो मार्ग सत्य है?
क्या आपको महर्षि पतंजलि का योगमार्ग न दिखाई पड़ा ? आपके तथाकथित अनुयायी धूर्त जिग्नेश वामन मेश्राम जैसे घोँचुओं के अनुसार आप वेद व संस्कृत के परम ज्ञाता थे। आप ज्ञान के सूर्य थे ? कैसे सूर्य थे आप? जो आपने दर्शन शास्त्रों व वेदांगो तक को न पढ़ा और अनर्गल व अप्रामाणिक बातें वेदों के संदर्भ में लिख दीं।
अष्टांगिक मार्ग में लगभग सभी बातें सही हैं परन्तु आपके चेले चपाटियों में ज्ञान का बहुत निम्न  स्तर है क्योंकि यदि इतने ही ज्ञानी होते तो योग का कभी विरोध न करते।
अस्तु। 
*आपकी प्रतिज्ञा तो वेदों का पूर्ण समर्थन कर रही है।*
बस वो आध्यात्मिक स्तर व तर्क नहीं जो ऋषि-मुनियों में होता है।तभी तो बौद्ध मत में बुराईयाँ आयीं। 
और धम्म की जो पारमिता हैं वो भी योगदर्शन के यम नियमों के सदृश् ही प्रतीत होती हैं परन्तु श्रेष्ठ तो योगदर्शन ही है क्योंकि वो वेगोक्त हैं जो वेदोक्त वही श्रेष्ठ।
अतः आपकी यह प्रतिज्ञा भी वैदिक धर्म के अनुकूल है। 
वैसे एक शंका है कि तथाकथित पुरुष वामन मेश्राम ने कितने आष्टांगिक मार्ग व पारमिताओं का पालन किया ? एक भी नहीं।  तो सबसे बड़ा ढोंगी कौन हुआ ?
आपकी प्रतिज्ञा का दूसरा मन्तव्य यह है कि
*हम आपके परमभक्त मुस्लिम और ईसाई आज से ही कुरान में वर्णित चार चार पत्निप्रथा को त्यागते हैं और नमाज व यीशु प्रार्थना को वेदविरुद्ध मानते हुये त्यागते हैं। और ब्रह्मचर्य व ओ३म् का जप करते हुये योग ध्यान व  समाधि को सिद्ध करते हुये मोक्ष को प्राप्त करेंगे। और बाईबल कुरान की वो बातें जो ईर्ष्या द्वेष व पाखंड फैलाती हैं उनका त्याग करेंगे।*
*ओ३म्*
*वेदों की ओर लोटो*
*ओ३म् भूर्भुवः स्वः।तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।*

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