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अष्टादश

*बाबा साहेब की अष्टादश प्रतिज्ञा की समालोचना*
*ओ३म्*
    :- प्रथमेश आर्य्य। 
१८.:- मैं महान अष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूंगा।एवं सहानुभूति व प्यार भरी दयालुता का दैनिक जीवन में अभ्यास करूंगा।
*समालोचना:-* आप यदि बुद्ध को अष्टांगिक मार्ग अनुसरण करना चाहते हैं तो अवश्य करिये।
परन्तु जीवन में आध्यात्मिक व मानसिक उत्थान के लिये महर्षि पतंजलि व वेदव्यास जी ने पहले ही विधान कर रखा है। 
*अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहाः यमाः*
    - योगदर्शन २.३०
*शौचसन्तोषतपःस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि नियमाः*
- योगदर्शन २.३२
ऐर ये ग्रंथ (वैदिक धर्म) तथाकथित हिन्दू   के ही प्रामाणिक ग्रंथ हैं और इनमें विधिवत् इनका उपदेश है फिर आपने योगदर्शन की ये बातें क्यों न अपनायीं ?
इसके दो ही कारण हो सकते हैं या तो आपने जाना न होगा या जानकर भी अनजान बने रहे होंगे।
हाँ कुरान बाईबल में ये नियम आपको कभी न मिलेंगे। क्योंकि जो धर्म काल्पनिक जन्नत व जहन्नुम पर आधारित हों उनमे ऐसा तर्कसंगत वर्णन संभव नहीं। वहाँ तो जन्नत में विविध प्रकार की शराबों और हूरों का वर्णन हैं वहाँ ब्रह्मचर्य सध भी न पावेगा।इसीलिये ऐसे पाखंडी मत कभी भी वेद की बराबरी नहीं कर सकते। 

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