🔥 *अथ घोंचू (शम्बूकवध समर्थक यज्ञदत्त) मुखमर्दनम्*
*भाग-१*
--- प्रथमेश आर्य्यपुत्र।
९ मार्च २०१८ सोमवासरे।
*ओ३म् विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परा सुव। यद्भद्रं तन्नsआ सुव* यजुर्वेद ३०.३
नमस्ते मित्रों ! यह सदा से परम्परा चली आयी है कि समाज में जो जो गलत प्रथायें हो उनका बहिष्कार और जो जो वेदानुकूल व तर्कयुक्त हो उसको स्वीकाप करनै चाहिये। क्योंकि इन सबका उद्देश्य समाज को व्यवस्थित व विकसित गतिशील रखना है।
इसी प्रसंग में एक वाल्मिकि रामायण के *प्रक्षिप्त उत्तरकाण्ड* के शूद्रवध प्रकरण पर एक कथित विद्वान् जिनको में घोँचू उपाधि दी है , सत्य ठहरा रहे हैं।
आइये इनका वेदादि सच्छास्त्रों व अन्तः बाह्य साक्ष्यों व तर्कों से मुखमर्दन करते हैं।
१. पहला तर्क तो यह कि वाल्मिकी रामायण का उत्तरकाण्ड पूरा ही प्रक्षिप्त है क्योंकि रामायण की समाप्ति के सूचक श्लोक *युद्धकाण्ड* मे ही आ जाते है।
क. इंडोनेशिया , बालि , बर्मा आदि देशों में आज भी उत्तरकांड नहीं है।
ख. भारत में जो बंगाल से गौड़ ब्राह्मण प्रति छपती थी उसमें उत्तरकांड नहीं है।
ग. चंपू रामायण (1500 वर्ष पूर्व) राजा भोज के काल में लिखी गयी थी उसमें भी उत्तरकांड नहीं।केवल युद्धकांड तक ही रामायण है।
घ. स्वामी जगदीश्वरानन्द , आचार्य रामदेव ने भी युद्धकांड तक रामायण को प्रामाणिक माना है।
ङ. *युद्धकांड में ही समापन सूचना*:-
धर्म्य यशस्वमायुष्यं राज्ञां च विजयाहम्।
आदि काव्यमिदं चार्षे पुरा वाल्मिकिना कृतम्।युद्धकांड १२८.१०५।
च. *उत्तरकांड प्रक्षेप का (अन्तः साक्ष्य)प्रमाण:-*
एतावतेतदाख्यां सोत्तरं ब्रह्मपूजितम्।
रामायणमिति ख्यातं मुख्यं वाल्मिकिना कृतम्।१ उत्तरकांड
अर्थात्:- जो यह *उत्तरकाण्ड सहित आख्यान* है इसको ही रामायण कहा जाता है जो वाल्मिकि मुनि कृत है और *यह ब्रह्मपूजित है*
रामायण में *सोत्तर* शब्द आना यह सिद्ध करता है कि यह पहले बिना उत्तरकांड के थी। बाद में उत्तरकांड मिलाया गया फिर यह ब्रह्मपूजित हुयी।
छ. *बालकांड सर्ग 3*:- चूँकि वाल्मिकि जी ने कहीं भी कांडों के नाम नहीं लिखे प्रत्युत् घटनाओ का वर्णन किया है जबकि उत्तरकांड का नाम स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
अनागतं च यत् किंचिद् रामस्य वसुधातले।
*तच्चकारोत्तरे काव्ये वाल्मिकिर्भगवानृषिः।*
ज. इटली के एक संस्कृतज्ञ ने महाराज सारणीनिया की सहायता से रामायण छपवायी थी जिसमें सब कुछ था बस उत्तरकांड नहीं था। यदि उत्तरकांड होता तो वह क्यों न छपवाता।
अतः अन्तः व बाह्य साक्ष्यों से यह सिद्ध है कि उत्तरकांड पूर्णरूप से प्रक्षिप्त है।
*इति प्रथमो भागः*
*ओ३म्*
🔥 *अष्टाध्याय्याः सूत्राणां विभागाः* अष्टाध्यायी में सभी सूत्र सात प्रकार के हैं:- संज्ञापरिभाषाविधिनिषेधनियमातिदेशाधिकाराख्यानि सप्तविधानि सूत्राणि भवन्ति। 1. *स...
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