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वेद और नदी

*वेद में वर्णित तथाकथित ऐतिहासिक नदियाँ*
*वेदेषु तथाकथिताः ऐतिहासिकाः नद्यः*
:- प्रथमेश आर्य्यपुत्र।
२९ मई २०१८।

नमस्ते मित्रों ! ऋग्वेद १०.७५.५  व यजुर्वेद ३४ के कुछ मन्त्रों में कुछ नदियों का वर्णन आता है।
वर्णित नामधारी सभी नदियाँ भारत की हैं तो फिर वेद भारत के ही हुये न कि विदेशी। 
और ऋग्वेद के नदीसम्बन्धी मन्त्रों की व्याख्या *निरुक्त ९.२५* में भी है।
१. *गङ्गा गमनात्।- निरुक्त ९.२५* समुद्र तक गमन करने वाली नदी।
२. *यमुना प्रयुवती गच्छतीति वा।- निरुक्त ९.२५*
अन्य नदी में मिलने वाली नदी।
३. *सरस्वती सर इत्युदकनाम। निरुक्त ९.२५*
प्रचुर जल वाली नदी।
४. *शुतुद्री शुद्रावणी। निरुक्त ९.२५* बिखर बिखर कर बहने वाली नदी।
५. *वितस्ता अविदग्धा विवृद्धा महाकूला।निरुक्त ९.२५*
अत्यन्त ग्रीष्मकाल में भी दग्ध न होने वाली नदी।
६. *सिन्धु स्यन्दनात्। निरुक्त ९.२५*
वस्तुतः सत्य यह है कि ये नदियों के लाक्षणिक नाम हैं। जो नदी अत्यधिक जलयुक्त होगी वह सरस्वती कहलायेगी चाहें वो पृथ्वी के किसी भी भाग में हो।
अतः गंगा आदि शब्दों से भारत में वर्तमान में गंगोत्री से निकलने वाली गंगा नदी समझना उचित नहीं। अतः वेद में ऐतिहासिक नदियाँ नहीं।
*इमं गङ्गे यमुने सरस्वति शुतुद्रि स्तोमं सचता परुष्ण्या।असिक्न्या मरुद्वृधे वितस्तयार्जीकीये शृणुह्या सुषोमया।*
       *ऋग्वेद १०.७५.५*
*साभार ऋग्वेदभाष्य -ब्रह्ममुनि परिव्राजक विद्यामार्तण्ड*
ओ३म्

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