🔥 *वेद से ही आयुर्वेद निकला है।*
अर्थात् आयुर्वेद वेद को अपना मूल मानता है।
*तत्र चेत्प्रष्टारः स्युः - चतुर्णामृक्सामयजुरथर्ववेदानां कं वेदमुपदिश्यन्त्यायुर्वेदविदः , किमायुः, कस्मादायुर्वेदः किं चायमायुर्वेदः शाश्वतोsशाश्वतश्च। कति कानि चास्याङ्गानि।१८* ५ जुलाई २०१८
*तत्र भिषजा पृष्टेनैव चतुर्णामृक्सामयजुरथर्ववेदानामात्मनोsथर्ववेदे भक्तिरादेश्या। वेदो ह्याथर्वणः स्वस्त्ययन बलि मङ्गल होम नियम प्रायश्चित्तोपवास मन्त्रादि परिग्रहाच्चिकित्सां प्राह, चिकित्सा चायुषो हितायोपदिश्यते।१९*
*वेदं चोपदिश्याssयुर्वाच्यं।२०*
*##### *चरकसंहिता सूत्रस्थान 30वाँ अध्याय*
यदि कोई पूछे कि ऋग्वेद सामवेद यजुर्वेद और अथर्ववेद में इन चारों वेदों में से किस वेद को आयुर्वेद कहते हैं।आयुर्वेद का कौन से वेद के साथ सम्बन्ध है ?आयुर्वेद क्या है? आयुर्वेद किसलिये है ? यह आयुर्वेद नित्य है या अनित्य?
वैद्य द्वारा इस प्रकार के प्रश्न पूछे जाने पर उसे ऋग्वेद सामवेद यजुर्वेद अथर्ववेद इन चारों में से *अथर्ववेद में ही अपनी श्रद्धा बतलानी चाहिये।* क्योंकि अथर्ववेद में स्वस्ति -अयन बलि मंगल होम नियम प्रायश्चित्त वा उपवासादि आदि द्वारा रोग चिकित्सा कही है। चिकित्सा आयु की मंगल कामना से कही जाती है।
वेदसंबन्धी विवेचन करने के पीछे ही आयुसंबन्धी विवेचन किया जाता है।
🔥 अब देखिये तथाकथित अनपढ़ मलमूत्रनिवासी बासमेफी मुस्लिम ईसाई कम्युनिष्ट आदि बकलोल लोग यह आरोप जड़ते हैं कि आयुर्वेद बाबा बुद्ध या धम्म से निकला है या फर्जी मूलनिवासियों का है। तो उनकी यह प्रतिज्ञा *चरकसंहिता* सूत्रस्थान नामक भाग से उद्धृत प्रमाण से स्वतः ही नष्ट हो जाती है।
*अतः सिद्ध है कि आयुर्वेद का मूल भी वेद ही है।*
*ओ३म्*
*प्रथमेश आर्य्य*
🔥 एधँ वृद्धौ , भ्वादि गण, उदात्त, अनुदात्त(आत्मनेपदी) 1. *लट् लकार* एधते, एधेते , एधन्ते। एधसे, एधेथे , एधध्वे। एधे, एधावहे , एधामहे। 2. *लिट् लकार* एधाञ्चक्रे , एधाञ्चक्राते , एधाञ्चक...
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