🔥 *विपस्सी बुद्धों की जाति क्षत्रिय अर्थात् ठाकुर*
:- *प्रथमेश आर्य्य*
नमस्ते मित्रों ! अभी तक आपने महर्षि मनु जी को ही क्षत्रिय वर्ण का सुना होगा। परन्तु आज आपको दिखाता हूँ कि बुद्ध अपने आपको किस जाति व गोत्र का बताते हैं।
तो एक कथा है *बौद्ध धम्म के प्रामाणिक ग्रंथ सुत्तपिटक* के महापदानसुत्त में , जो अक्षरशः(संक्षिप्त) निम्न प्रकार है :-
एक समय भगवान् श्रावस्ती के अनाथपिंडक आरामजेतवन की करेरी कुटी में निवास कर रहे थे।
वहाँ कुटी में पूर्वजन्म की चर्चा चल रही थी।
(तभी महात्मा बुद्ध जी से अपने पूर्वजन्म की प्रशंसा दूसरे को बताना रहा नहीं गया और चले आये और बोले :-😃):-
*भिक्षुओं! पूर्वजन्म संबंधी धार्मिक कथा को क्या तुम सुनना चाहते हो ?*
भिक्षु बोले :- भगवान् उसी का काल है!
भगवान् ने कहा :- भिक्षुओं आज से इकानबे कल्प पहले विपस्सी भगवान् अर्हत और सम्यक् संबुद्ध संसार में पैदा हुये थे।
*भिक्षुओं! भगवान् क्षत्रिय जाति के थे और क्षत्रिय कुल में उत्पन्न हुये थे।*
(पुनः कहा):-
*मैं अर्हत् सम्यक् सम्बुद्ध क्षत्रिय जाति का , क्षत्रिय कुल में उत्पन्न हुआ*
*दीघ निकाय*
*सुत्तपिटक*
*अपदानसुत्त*
*राहुल सांकृत्यायन*
*भिक्षु जगदीश कश्यप*
*महाबोधि सभा सारनाथ प्रकाशन*
(😃😃 चुल्लूभर पानी में डूब मरो फेक मलमूत्रनिवासियों ! भगवान् की जाति भी क्षत्रिय और कुल भी क्षत्रिय। अगर भगवान् मूलनिवासी होते तो स्वयं को अनार्य शूद्र मूलनिवासी अवश्य कहते। क्षत्रिय तो कभी न कहते।)
👉👉 इससे यह सिद्ध है कि भगवान् बुद्घ के समय मूलनिवासी फेक जमात का अस्तित्व ही नहीं था। और बुद्ध भी क्षत्रिय वंश के थे। उनका शूद्रों से पूर्वजन्म में भी दूर दूर तक कोई संबन्ध नहीं। अतः फिर भी कोई शूद्र सम्यकु बुद्ध की फोटो को गले से चिपकाकर रखता है और नमो बुद्घाय बोलता है तो उससे बड़ा धूर्त मनुवादी पाखंडी और गुलाम कोई नहीं।
*ओ३म्*
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